फ्रूट एण्ड विजिटेबलस राष्ट्र के किसानों का सर्वांगीण कल्याण व विकास के लिये किसान दिवस से उनके हित में कृत संकल्पित है। फ्रूट एवं विजिटेबलस सर्विस से जैविक एवं प्राकृतिक खेती संवर्धन अभियान, आक्षित बेरोजगारी उन्मुलन अभियान, गौरवान्वित अनुभूति अभियान, मंडी (फसल संवर्धन) कार्यक्रम आदि के माध्यम से सस्ते दामों पर उनके दैनिक के समानो के साथ बीज, खाद मशीनरी की व्यवस्था करना करना है, जिससे आने वाले समय में किसान खुद / स्वया को गौरवान्वित महसूस करेंगे अर्थात् आने वाले निकट भविष्य किसानो को गौरव की अनुभूति कराने के लिये फ्रूट एवं विजिटेबलस सर्विस द्वारा प्रदत्त सभी सरकारी व गैर सरकारी योजना का लाभ प्रत्येक किसानो को आसानी से उपलब्ध कराना फूट एण्ड विजिटेबलस सर्विस का मुख्य कार्य है।
किसानो को जैविक एवं प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में विस्तार से समझाना, जैविक खेती में उपयोग होने वाले जैविक उर्वरक के आसानी से उपलब्धता के बारे में समझना तथा प्राकृतिक खेती के तौर-तरीके एवं रसायनिक खेती से होने वाले नुकास / हानि से अवगत कराना ही इस अभियान का उद्देश्य है।
किफायती :- जैविक खेती में फसलों के रोपण के लिये किसी महंगे उर्वरक कीटनाशक या HYV बीज की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए, कोई अतिरिक्त खर्च नहीं है।
कनिवेश पर अच्छा रिटर्न :- सस्तें और स्थानीय इनपुट के उपयोग से, किसान निवेश पर अच्छा रिटर्न कमा सकता है।
पोषण संबंधी :- रासायनिक और उर्वरक - उपयोग वाले उत्पाडों की तुलना में, जैविक उत्पाद अधिक पौष्टिक, स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिये अच्छे होते हैं।
पर्यावरण के अनुकूल :- जैविक उत्पादों की खेती रसायनों और उर्वरको से मुक्ति होती है, इसलिये यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है। जैसे:- पर्यावरण के अनुकूल, रोजगार का साधन।
जैविक खेती अधिक श्रम प्रधान है इसलिए, यह अधिक रोजगार पैदा करता है।
इस ऑर्गेनिक खेती के बारे में खेती कहना है कि अभी तक ज्यादा किसान इस खेती में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है, लेकिन किसानों के लिये ऑर्गानिक खेती फायदे का सौदा है, इस खेती में आम खेती की जगह खर्च काफी कम आती है। इसका कारण यह है, कि इसमें न तो पेस्टिसाठड युक्त खाद डालने की जरूरत पड़ती है और न ही केमिकल या दवाओं का इस्तेमाल होता है। इसमे मात्र देसी खाद का इस्तमाल होता है, जो कि गोबर और अन्य देसी तरीकों से बनाई जाती है, इस खेती में मेहनत थोडा आम खेती से ज्यादा है, लेकिन इस आर्गेनिक खेती में मुनाफा भी आम खेती से ज्यादा होता है।
जैविक खेती को दो प्रकारो में विभाजित किया गया है-
1. एकीकृत जैविक खेती
2. शुद्ध जैविक खेती
• एकीकृत जैविक खेती:- शुद्ध जैविक खेती का अर्थ है सभी अप्राकृतिक रसायनों से बचना। खेती की इस प्रक्रिया में, सभी उर्वरक और कीटनाशक प्राकृतिक स्त्रोतों जैसे- अस्थि भोजन या रक्त भोजन से प्राप्त किया जाता है।
• शुद्ध जैविक खेती:- एकीकृत जैविक खेती में पारिस्थितिक आवश्यकताओ और मांगो को प्राप्त करने के लिये कीट प्रबंधन और पोषक तत्व प्रबंधन का एकीकरण शमिल है।
मृदा में जैविक पदार्थो कि पर्याप्त उपलब्धता के लिये जैविक खादो का प्रयोग अनिवार्य है। जैविक खाद मृदा कि भौतिक संरचना रसायिनक और जैविक गुणों पर लाभदायक प्रभाव डालते है। जैसे - करंज, नीम, अरंडी, मूंगफली, नारियल, सरगुजा, तिला इत्यादि के प्रयोग से अत्यधिक लाभ मिलता है।
दलहनी फसलों को सब्जियों के साथ सम्मिलित किया जा सकता है। मुख्यत: दलहनी फसलों को साब्जयों के साथ अन्तः फसल के रूप में या हरी खाद के रुप में उगाया जा सकता है। दलहनी फसलो को सम्मिलित करने से सब्जियों की पैदावार में उत्साहजनक वृद्धि तथा उपज में स्थिरता देखी गई है। दलहनी फसलें खेत में उगाने से इनके द्वारा किये जाने वाले वायुमंडलीय नत्रजन यौगिकीकरण का लाभ मिलता है, जैसे लोबिया, मटर, सोयाबीन, मुंगफली, बीन इत्यादि दलहनी फसलों का लाभ मिलता है।
हरी खाद के प्रयोग से जैविक पदार्थ के अतरिक्त मृदा में नत्रजन की मात्रा बढ जाती है इसकी जीव रसायनिक क्रिया मे तीब्रता आती है तथा पोषक तत्वों का संरक्षण व उपलब्धता बढ़ती है, बरसात में उगाये जाने वाले हरी खाद में दैचा तथा शुष्क मौसम में उगायी जाने वाली खाद में सेंजी (अल्वा) प्रमुख है।
रसायनिक दवाओं द्वारा कीट एवं बीमारियों का प्रबन्धन एक सरल एवं प्रभावशाली तरीका है। परन्तु रासयनिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग प्रबन्धन के साथ-साथ कृषि व्यवस्था के लिए; कई नई समस्याओं जैसे- कीट मे कीटनाशक की प्रतिरोधक क्षमता का पैदा होना, वातावरण सर्व भूमिगत - जल प्रदुषण, कृषि उत्पाद में रसायानिक दवा के अवशेष की मात्रा का मानव स्वास्थ्य मे कुप्रभाष, फसल के कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या का हास, फसलों के भण्डारण क्षमता में प्रमुख है।
1. स्वास्थ्य पौधे उत्पादन हेतु मिटटी का सौरिकिरण सोर्यीकारण तथा नायलोन जाली के प्रयोग से विषाणु जनित बीमारियो से बचाव ।
2. खेत में करंज एवं नीम की खली का प्रयोग करना
3. प्रतिरोधी पौधों का प्रयोग ।
4. वनस्पतिक पदार्थी जैसे नीम, तुसली, लेनटाना, इत्यादि की पत्तियों के घोल के प्रयोग से बीमारी एवं फीड़ों कि समस्या को कम करना।
• इन सभी उपायों द्वारा कम खर्च में फसल की समुचित सुरक्षा की जा सकती है।
किसानो को लाभान्वित करने के लिये फ्रूट एण्ड वेजिटेबल सर्विस से संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत हर घर में कम से कम एक उधम स्थापित कराना है, जिससे किसानो को अधिक से अधिक फायदे' हो।
कार्यक्रम किसान के फसल को फ्रूट एण्ड वेजिटेबल सर्विस मण्डी के माध्यम से सीधे व्रहद स्तर के व्यापारियो को अच्छे मूल्य पर विकवाने से उनकी आय मे प्रत्यक्ष तौर पर वृद्धि होती है, इसके लिये किसानो को मण्डी मे अपनी फसलो को बेचने हेतु प्रेरित करना है।
अपने क्षेत्र के पात्र किसानो को बैंक से सम्बन्धित सभी जानकारी व बैंको में खाता खोलवाना आदि सुविधा दिलाने में मदद करता है।
अपने क्षेत्र के किसानो को बेहतरीन ढंग से उनके नजदीकी स्तर पर कैंटीन की सुविधा उपलब्ध- कराने के लिये प्रतिबद्ध है। जिसके लिए अपने क्षेत्र के अच्छी दुकानों को कैंटीन में परिवर्तित होने के लिये कर्तव्यनिष्ठ होंगे तथा उन दुकानों को कैंटीन में परिवर्तित होने से मिलने वाले लाभ के बारे मे उचित जानकारी प्राप्त करेंगे।
मौसम पूर्वानुमान किसी दिये गये स्थान और समय के लिये वातावरण की स्थितियों की भविष्य वाणी करने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिक का अनुप्रयोग है। जिससे की हमारे किसानों के क्षमता, मनोबल एवं उत्साह में विकास तथा जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह आर्थिक, सामाजिक, इन सभी में आमूलचूल रूप से विकास कर पाये।
यह किसानो को सहायता के लिये प्रत्येक राज्य मे राष्ट्र हित व किसान हित के लिये प्रत्येक जिले के ग्राम सभा क्षेत्रो मे स्थापित किये जा रहे है, जिससे कि संबंधित किसान अपने स्थानीय । ग्राम सभा केन्द्र पर जाकर अपना कार्य करत है, किसानों की जीवन दशा एवं दिशा में सुधार हो सके तथा वह अपने आप किसान को गौरव महसूस कर सकेंगे।
फ्रूट एण्ड वेजिटेवल सर्विस सेंटर / सेवा शाखा का मुख्य कार्य किसानों को ऑर्गेनिक खेती से लाभानिवत करना, फ्रूट वेजिटेबल सर्विस द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक दबाएँ, मशीनरी ऑदि के साथ-साथ अन्य सुविधायें उपलब्ध कराना।
यह उन सामानों की उपलब्धता के लिये बनाए जाएंगे, जो कृषि कार्य संबंधी उपयोगी होगा जैसे- बीज, खाद, कीटनाशक, कृषि यंत्र एवं उपकरण जिससे कि किसानो को कम कीमत पर अच्छा व गुणवतापूर्ण सामग्री प्राप्त हो सकेगा। आवश्यकता पड़ने पर सामान किसानो को उधार भी उपलब्ध हो सकेगा जिसका मूल्य वह बाद में भी चुका सकेगा जिससे कि उसको कृषि कार्य करने में कोई बाधा या कोई भी समस्या न आये, क्योकि ज्यादातर किसानों को आर्थिक संकटो का ही सामना करना पड़ता है, जिससे किसान बहुत ही निराश रहता है और कृषि कार्य भी प्रभावित होता है जैसे - उचित समय पर उपर्युक्त बीज,खाद, उर्वरक, कृषि यंत्र एवं उपकरण सामग्री का न खरीद पाना आदि।
यूरोपीय संघ के जैविक खेती नियम जलीय कृषि और खमीर सहित कृषि उत्पादों को कवर करते हैं।
जैविक उत्पादन पर यूरोपीय संघ के नियमों में मछली पकड़ने और जंगली जानवरों के शिकार के उत्पादों को शामिल नहीं किया गया है
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